तेरे हाथों की लक़ीरों में था मेरा ही नाम
जुड़ी थी तुझसे ही मेरी सुबह-ओ-शाम
तेरे क़दमों में, हाँ, तेरे क़दमों में
तेरे क़दमों में रखा था दिल ये मेरा
क्या ख़ता थी मेरी? तूने दी क्यूँ सज़ा?
बेवजह, बेवजह, बेवजह, बेवजह
बेवजह, बेवजह, बेवजह, बेवजह
तू बता दे मुझे, मेरा क्या था गुनाह?
तू बता दे मुझे, मेरा क्या था गुनाह?
दर्द तुमने क्यूँ मुझको इतना दिया?
मैं नहीं बेवफ़ा, बेवफ़ा, बेवफ़ा
मैं नहीं बेवफ़ा, बेवफ़ा, बेवफ़ा
उम्र कटती रही, ज़ख़्म सीती रही
मैं तो घुट-घुट के बिन तेरे जीती रही
उँगलियाँ तारे गिन-गिन चलाती रही
शामें मेरी तो तन्हा सी कटती रही
मेरी क्या थी ख़ता? क्या ख़ता? क्या ख़ता?
मैं नहीं बेवफ़ा, बेवफ़ा, बेवफ़ा
ये दीवारों के जाले हैं शाहिद यहाँ
एक अरसा हुआ तुमसे होके जुदा
था ज़माने का डर तो बताते हमें
लेके जाते तुम्हें एक ऐसी जगह
जहाँ करता ना कोई हमको जुदा
जहाँ करता ना कोई हमको जुदा
तेरी ख़ामोशी ने ऐसे तोड़ा मुझे
क्या थी ऐसी वजह? ऐसे छोड़ा मुझे
हाँ, तू है बेवफ़ा, बेवफ़ा, बेवफ़ा
तू है बेवफ़ा, बेवफ़ा, बेवफ़ा
तेरे क़दमों में रखा था दिल ये मेरा
क्या ख़ता थी मेरी? तूने दी क्यूँ सज़ा?
बेवजह, बेवजह, बेवजह, बेवजह
बेवजह, बेवजह, बेवजह, बेवजह